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चक्कर काट रही ये धरती (हिन्दी ग़ज़ल)





1.चक्कर  काट  रही  ये  धरती,  ऊपर  ये  आकाश भी है
   चलती-फिरती  लाश  यहाँ  पर, टूटा  एक विश्वास भी है। 

2. मेरे   मन  की  तन्हाई  में  मरुथल  है,  मधुमास  भी  है
    अकथ-कहानी  रामराज्य  की, सीता का बनवास भी है। 

3. प्रेमचंद  की  अमर - धरोहर  रह  गई   केवल  यादों  में, 
    कामसूत्र का नया 'एडिशन',भौतिक भोग-विलास भी है। 

4. मानवता  का  दर्द  छिपा  है ‌‌मानव-मन  के  चिन्तन  में, 
    सदियों  से जो रहे  उपेक्षित, उनका एक इतिहास भी है। 

5. कंकरीट  के  इस जंगल  में  फूल  हैं लेकिन  गन्ध  नहीं, 
    स्वप्न  बिखरते  रोज़  यहाँ  पर  ज़हरीला एहसास भी है। 
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एडिशन=संस्करण ( Edition) 

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8 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 05:09 AM

fabulous

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Virendra Pratap Singh

26-Mar-2025 01:50 PM

Thank you so much, Hema ji.

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kashish

03-Feb-2025 05:19 AM

v nice

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Virendra Pratap Singh

04-Feb-2025 10:24 AM

धन्यवाद कशिश।

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madhura

30-Jan-2025 06:09 AM

nice

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Virendra Pratap Singh

04-Feb-2025 10:25 AM

धन्यवाद मधुरा

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